मध्यप्रदेश में मूंग की फसल यह फसल दो बार और खरीफ में ली जा सकती है। मूंग की बुआई के लिए अभी उपयुक्त समय है। अप्रैल के पहले सप्ताह में इसकी बुआई की जा सकती है। वहीं, खरीफ सीजन के दौरान मूंग की बुआई करने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। मूंग के लिए गहरी,जुताई करनी होती हे और जल निकास या हल्की मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है।
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मूंग की खेत तैयारी
मूंग फसल के लिए खेत बारिश होने के एक-दो दिन बाद जरूरत के हिसाब से जुताई तैयार करना चाहिए। अगर बारिश का अभाव है तो पलेवा कर दें और बत्तर आने पर जुताई कर पाटा लगाकर खेत को बुआई के लिए तैयार करें। खेत प्रभावित असिंचित क्षेत्र में 6 किलोग्राम क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण बुआई से पहले खेत में मिलाकर उपचार करें। खाद का प्रयोग कम से कम करे ।
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फसल बुआई का समय
मूंग की बुआई के लिए एस.एम.एल.-668 को मार्च के पहले सप्ताह से अप्रैल के पहले सप्ताह को उपयुक्त माना जाता है। खरीफ में मूंग की बुआई जुलाई के पहले सप्ताह में कर सकते हैं। इस समय बोई गई फसल में पीत शिरा मोजेक वायरस का प्रकोप कम होता है और फसल पूरी रूप से तैयार हो जाती हे ।
मुंग के बीज की उन्नत किस्में
आईपीएम02-3 : यह भारतीय दलहन शोध संस्थान, कानपुर द्वारा विकसित है और उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए जारी की गई है। यह 70-72 दिनों में पककर तैयार होती है। अनुकूल परिस्थितियों में 11 से 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की उपज हो सकती है।
सत्या एम.एच. 2-15 चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित यह किस्म देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए जारी की गई। पीत शिरा रोग के लिए सहनशील यह किस्म 67 से 72 दिनों में तैयार होती है। इससे 11 से 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज होती है।
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बीजों का उपचार कैसे करे
बुआई से पहले थाइरम या कैप्टान 3 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें। एजोटोबेक्टर एवं पी.एस.बी. कल्चर फास्फोरस घोलक जीवाणु पाउडर के 3 पैकेट एक हैक्टेयर क्षेत्र के बीज को बुआई से एक घंटे पहले उपचारित कर बोने से नत्रजन और फास्फोरस उर्वरकों की बचत हो सकती है। इसे राइजोबियम जीवाणु कल्चर से भी उपचारित करें तो उपज में बढ़ावा हो सकते हैं।
खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करे
रसायनों से खरपतवार नियंत्रण के लिए ट्राइलुरालिन 48 प्रतिशत ई.सी. नामक खरपतवारनाशी 400 मिलीलीटर दवा को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति बीघा में बुआई से पहले अंतिम जुताई के समय मिट्टी में छिड़ककर मिलाएं। बुआई के 25-30 दिन की अवस्था में रासायनिक विधि से एसीलुरफेन 24 एस.सी. 500 ग्राम खरपतवारनाशी को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति बीघा एक समान छिड़काव करें।
मेरा नाम अंकित राठौर है | में किसानो से जुडी नई नई योजना की जानकारी आपको इस वेबसाइट पर प्रदान करता हु | में आपको सभी जानकारी को हिंदी में उपलब्ध करवाता हु | में मध्यप्रदेश में निवासरत हु और मुझे कंटेंट राइटर का 5 साल का अनुभव है |